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लगातार बारिश से जहां महंगी बोए बीज नष्ट होने पर दुबारा, दो गुने दाम पर बीज खरीदने पर मजबूर रहे ,वहीं कृषि विभाग की लापरवाही से किसानों पर गिरी तीसरी गाज

कृषि विभाग की लापरवाही से किसानों पर दोहरी मार

पत्थलगांव। इस बार समितियों में खाद का पर्याप्त भंडारण नहीं होने से किसानों को डीएपी और यूरिया समय पर नहीं मिल पाया। स्थिति का फायदा निजी खाद विक्रेताओं ने जमकर उठाया। खेती की शुरुआती दिनों में जहां डीएपी 1600 से 1800 रुपये प्रति बोरी तक बिकी, वहीं इन दिनों यूरिया 500 से 600 रुपये में बेची जा रही है। जबकि सरकारी दर पर डीएपी 1350 रुपये और यूरिया 267 रुपये निर्धारित है।

समितियों में खाद न मिलने से किसान मजबूरन निजी दुकानों से महंगे दामों पर खाद खरीद रहे हैं। अधिक मूल्य पर बिक्री रोकने की जिम्मेदारी कृषि विभाग की है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंदे बैठे हैं। धान की खेती के लिए यूरिया अत्यंत आवश्यक है, ऐसे में किसान मजबूरी में 500–600 रुपये प्रति बोरी के हिसाब से यूरिया खरीद रहे हैं।

इस बार समितियों में बोतल वाली नैनो यूरिया और डीएपी का भंडारण किया गया है, लेकिन जानकारी के अभाव में किसान इसका उपयोग करने में असहज महसूस कर रहे हैं।
किसानों ने जताई नाराजगी
किसान रामलाल साहू ने कहा, “धान की फसल में इस समय यूरिया बहुत जरूरी है, लेकिन समिति में खाद नहीं है। मजबूरन हमें निजी दुकानों से दोगुने दाम में लेना पड़ रहा है। अगर सरकार ने समय पर व्यवस्था की होती तो हमें इतना नुकसान नहीं झेलना पड़ता।”
किसान मनोज पटेल ने बताया, “डीएपी और यूरिया के दाम आसमान छू रहे हैं। खेती पहले से ही महंगी हो गई है, ऊपर से खाद महंगे दाम पर खरीदना पड़ रहा है। कृषि विभाग बस कागजों में ही काम कर रहा है।”मारपत्थलगांव। इस बार समितियों में खाद का पर्याप्त भंडारण नहीं होने से किसानों को डीएपी और यूरिया समय पर नहीं मिल पाया। स्थिति का फायदा निजी खाद विक्रेताओं ने जमकर उठाया। खेती की शुरुआती दिनों में जहां डीएपी 1600 से 1800 रुपये प्रति बोरी तक बिकी, वहीं इन दिनों यूरिया 500 से 600 रुपये में बेची जा रही है। जबकि सरकारी दर पर डीएपी 1350 रुपये और यूरिया 267 रुपये निर्धारित है।समितियों में खाद न मिलने से किसान मजबूरन निजी दुकानों से महंगे दामों पर खाद खरीद रहे हैं। अधिक मूल्य पर बिक्री रोकने की जिम्मेदारी कृषि विभाग की है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंदे बैठे हैं। धान की खेती के लिए यूरिया अत्यंत आवश्यक है, ऐसे में किसान मजबूरी में 500–600 रुपये प्रति बोरी के हिसाब से यूरिया खरीद रहे हैं।इस बार समितियों में बोतल वाली नैनो यूरिया और डीएपी का भंडारण किया गया है, लेकिन जानकारी के अभाव में किसान इसका उपयोग करने में असहज महसूस कर रहे हैं।किसानों ने जताई नाराजगी किसान रामलाल साहू ने कहा, “धान की फसल में इस समय यूरिया बहुत जरूरी है, लेकिन समिति में खाद नहीं है। मजबूरन हमें निजी दुकानों से दोगुने दाम में लेना पड़ रहा है। अगर सरकार ने समय पर व्यवस्था की होती तो हमें इतना नुकसान नहीं झेलना पड़ता।” किसान मनोज पटेल ने बताया, “डीएपी और यूरिया के दाम आसमान छू रहे हैं। खेती पहले से ही महंगी हो गई है, ऊपर से खाद महंगे दाम पर खरीदना पड़ रहा है। कृषि विभाग बस कागजों में ही काम कर रहा है।”

Manoranjan Das Mahant

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