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दैनिक जशपुरांचल समाचार पत्र ने मनाया 26वाँ स्थापना दिवस, सुरेशपुर में स्कूली बच्चों के बीच हुआ न्यौता भोज कार्यक्रम

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पत्थलगांव/जशपुर जिले के प्रथम दैनिक समाचार पत्र जशपुरांचल ने पत्रकारिता की अपनी गौरवशाली यात्रा के 26 वर्ष पूर्ण कर लिए हैं। इस अवसर पर बुधवार को ग्राम सुरेशपुर में विशेष आयोजन रखा गया, जिसमें प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूल के बच्चों के बीच न्यौता भोज कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

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यह आयोजन न केवल स्थापना दिवस की खुशी का प्रतीक रहा, बल्कि समाज के प्रति अखबार की सामाजिक जिम्मेदारी और जनसेवा की भावना को भी उजागर करता रहा। कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती के छायाचित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुई। जिसके पश्चात मंचासीन अतिथियों का पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया गया।

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आयोजन स्थल पर वातावरण पूरी तरह से उल्लासमय एवं प्रेरणादायक रहा। स्थापना दिवस पर आयोजित इस कार्यक्रम में स्कूली बच्चों को स्कूली बेग, नोटबुक, पेन एवं अन्य लेखन सामग्री वितरित की गई। इस पहल ने बच्चों के चेहरों पर खुशी बिखेर दी। ग्रामीण एवं शैक्षणिक परिवेश में पले-बढ़े इन बच्चों के लिए यह सामग्री अध्ययन में सहायक सिद्ध होगी। बच्चों ने भी कार्यक्रम में उत्साहपूर्वक भाग लिया और अखबार के संपादक विजय त्रिपाठी का आभार व्यक्त किया।इस मौके पर एसडीएम ऋतुराज बिसेन ने अपने उद्बोधन में कहा कि दैनिक जशपुरांचल समाचार पत्र के संपादक विजय त्रिपाठी के इस पैतृक गांव सुरेशपुर में 26वां स्थापना दिवस न्यौता भोज कार्यक्रम के रूप में मनाना अत्यंत ही हर्ष का विषय है, 26 वर्षों से जारी पत्रकारिता की यह यात्रा चुनौतियों से भरी रही, लेकिन सत्य और सकारात्मकता के पथ पर निरंतर आगे बढ़ते हुए अखबार ने समाज में अपनी विशेष पहचान बनाई है, उन्होंने कहा कि हर नागरिक अपने विशेष दिन को बच्चों के साथ मिलकर मनाए, जिससे सामाजिक उत्तरदायित्व और सेवा की भावना निरंतर बनी रहे।इसी कड़ी में संपादक विजय त्रिपाठी ने कहा कि वर्ष 1999 में इस अखबार की नींव रखी गई थी, जिसका उद्देश्य जिले की समस्याओं, जनभावनाओं और आम नागरिकों की आवाज़ को शासन-प्रशासन तक पहुँचाना था। आज जशपुरांचल द्वारा लगातार जनहित में निर्भीक और निष्पक्ष समाचार प्रस्तुत किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मीडिया समाज का आईना होता है और जब अखबार समाजसेवा के साथ शिक्षा व जनजागरूकता की दिशा में भी पहल करता है, तो उसका महत्व और बढ़ जाता है। बच्चों के बीच आयोजित यह न्यौता भोज इसी दिशा का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। आगे उन्होंने कहा कि समाज का विकास तभी संभव है जब शिक्षा और सहयोग की भावना को आगे बढ़ाया जाए। ग्रामीण क्षेत्र में स्कूली बच्चों के बीच इस तरह के आयोजन से न केवल बच्चों का मनोबल बढ़ता है, बल्कि उनमें आगे बढ़ने की प्रेरणा भी जागृत होती है। इस उपलक्ष्य में जिस स्कूल में मैने पहली से लेकर आठवीं तक पढ़ाई कि उस स्कूल में आज इस न्यौता भोज का कार्यक्रम आयोजित कर मुझे अति प्रसन्नता हो रही है, जिसमें बच्चों को सामग्री वितरित की गई है। सुरेशपुर में सर्वे किए जाने के बाद 70वर्ष से अधिक आयु वालों को अतिथि बनाया गया है। जो मेरे लिए एक खुशी का पल है।इस असवर पर वरिष्ठ पत्रकार हरगोविंद अग्रवाल ने कहा कि ग्राम सुरेशपुर में यह आयोजन सदैव यादगार रहेगा। उन्होंने बच्चों को संबोधित करते हुए समझाया कि पढ़ाई कभी व्यर्थ नहीं जाती। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा—एक शिक्षक ने 5 बच्चों को बेंत की टोकरी दी और कहा कि इसमें नदी से पानी भरकर लाओ। चार बच्चे असफल रहे, लेकिन एक बच्चा लगातार टोकरी को पानी में भिगोता रहा, जिससे वह फूल गई और पानी ठहर गया। इससे संदेश मिलता है कि निरंतर प्रयास से असंभव भी संभव हो जाता है। अंत में उन्होंने शायराना अंदाज में कहा—“लक्ष्य ना ओझल होने पाए, कदम मिलाकर चल, मंजिल तेरे कदम चूमेगी, आज नहीं तो कल।” उन्होंने बच्चों को मेहनत और लगन के साथ पढ़ाई करने के लिए प्रोत्साहित किया।शेखर त्रिपाठी हुए भावुक, साझा किया विद्यालय का इतिहासवहीं संपादक विजय त्रिपाठी के ज्येष्ठ भ्राता शेखर त्रिपाठी ने अपना भाव व्यक्त करते हुए कहा कि सुरेशपुर उनकी जन्मभूमि है, इसलिए यहां कार्यक्रम आयोजित होना अत्यंत भावुक पल है। इस मिडिल स्कूल का अध्यक्ष भी रह चुका हूं। इस विद्यालय के इतिहास को याद करते हुए उन्होंने कहा कि इसका शुभारंभ वर्ष 1952 में हुआ था, उस समय गुरुकुल परंपरा प्रचलित थी और बच्चों की संख्या भी बहुत कम हुआ करती थी। आज शिक्षा का विकास गांव-गांव तक पहुँच चुका है, जो समाज के सामूहिक सहयोग और प्रयासों का परिणाम है। यह विद्यालय अपने आप में एक गौरवशाली इतिहास समेटे हुए है, जिस विद्यालय में बहुत ही दूर दूर से लोग आकर माध्यमिक शिक्षा का अध्ययन ग्रहण कर चुके हैं।उक्त कार्यक्रम के पश्चात सभी अतिथियों ने स्कूली बच्चों के बीच बैठकर भोजन किया। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्यातिथि जलथल प्रजापति,पुनाई प्रजापति,बोधना उरांव, श्रीमती रेशम देवी,मालती देवी,श्रीमती फुलकुंवर तिर्की, डॉ. शेखर त्रिपाठी, राज्जे अग्रवाल, पत्रकार द्वय हरगोविंद अग्रवाल,पत्रकार राजेश अग्रवाल, सुरेन्द्र चेतावनी, दिपेश रोहिला, हरि जायसवाल,कमलेश अंबष्ट, छत्रमोहन यादव,बाबर खान,सौरभ त्रिपाठी,मुकेश शर्मा,नंदकिशोर अग्रवाल,सतीश अग्रवाल, वीर सेन डनसेना,हाई स्कूल के प्राचार्य साधराम धीरहे,हाई स्कूल के पूर्व प्राचार्य राजेंद्र कुजूर,प्रधानपाठक अनिल कुमार,माध्यमिक शाला प्रधानपाठिका श्रीमती अंजू सुष्मिता तिग्गा,सुश्री बिंदी भगत,रामपुकार गुप्ता,सुरेंद्र गुप्ता,चाणक्य डनसेना,दामोदर डनसेना,धनंजय राजहंस,धरनीधर सिदार,भगत बंजारा,राजेंद्र गुप्ता,अमरजीत गुप्ता,कृष्णा गुप्ता,शंभूनाथ डनसेना,संतराम सिदार, रामचंद्र प्रजापति सहित स्कूल के आचार्य दीदी एवं भारी संख्या में छात्र छात्राओं समेत ग्रामवासियों की उपस्थिति रही।

Manoranjan Das Mahant

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